निर्जला एकादशी पर करें ये उपाय, हर संकट होगा खत्म! निर्जला एकादशी 2025 की तारीख, व्रत की विधि और हर दुख से छुटकारा पाने के उपाय
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 की निर्जला एकादशी इस बार 6 जून को पड़ रही है। यह एकादशी सभी व्रतों में सबसे कठिन और फलदायी मानी जाती है। भीषण गर्मी में बिना अन्न और बिना जल ग्रहण किए इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी के व्रत से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है?
निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह तिथि 6 जून की रात 2 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और 7 जून की सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत 6 जून को रखा जाएगा। पारण यानी व्रत खोलने का समय 7 जून को द्वादशी तिथि में होगा।
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निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है?
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि महाभारत काल में पांडवों में से भीम ने यह व्रत सबसे पहले किया था। ऐसा माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भीषण गर्मी में जल तक न पीकर किया जाने वाला यह व्रत शरीर और आत्मा दोनों की शुद्धि करता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन मां लक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है।
निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है?
निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सफाई के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें। पीले वस्त्र पहनकर श्रद्धा के साथ पूजा करें। भगवान को पीले फल अर्पित करें और मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ करें। पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत रखें और मन को पूजा में लगाएं।
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निर्जला एकादशी पर कौन-कौन से उपाय करने चाहिए?
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ कुछ खास उपाय भी किए जाते हैं जो जीवन की परेशानियों को दूर करते हैं।निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और श्री हरि विष्णु का ध्यान करें। माता लक्ष्मी को श्रीफल अर्पित करें जिससे सुख-समृद्धि बनी रहती है। धन लाभ पाने के लिए भगवान विष्णु को इस दिन तुलसी की मंजरी अर्पित करें। सुखमय वैवाहिक और अच्छे वर की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रार्थना करें।
निर्जला एकादशी पर दान-पुण्य क्यों जरूरी है?
निर्जला एकादशी के दिन अन्न और जल का दान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को पानी, फल, वस्त्र और अनाज का दान करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं आती और घर की तिजोरी हमेशा भरी रहती है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है और व्यक्ति के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं।निर्जला एकादशी व्रत से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह व्रत आत्मिक और मानसिक शुद्धि के लिए अचूक उपाय है। इसे करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को सभी एकादशियों का पुण्य एक साथ मिलता है। मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना गया है।
यदि आप अपने जीवन में सुख-शांति, धन-संपत्ति और मोक्ष की प्राप्ति चाहते हैं तो इस 6 जून को निर्जला एकादशी का व्रत जरूर रखें। यह व्रत न सिर्फ आपके वर्तमान को बेहतर बनाएगा, बल्कि भविष्य को भी संवार देगा।
Disclaimer : इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। PTU News यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।