बलूचिस्तान ने पाकिस्तान से मांगी आज़ादी, भारत को दिया अपना समर्थन—देश के लिए ये बन सकता है रणनीतिक मोड़
नई दिल्ली – पाकिस्तान और बलूचिस्तान के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव अब खुलकर सामने आ गया है। बलूचिस्तान के प्रमुख नेता मीर यार बलोच ने इस हफ्ते एक ऐतिहासिक ऐलान कर दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक भावुक पोस्ट में उन्होंने पाकिस्तान से आज़ादी की औपचारिक घोषणा कर दी। उन्होंने इस फैसले के पीछे दशकों से जारी हिंसा, जबरन गायब किया जाना और मानवाधिकार उल्लंघन को वजह बताया।
मीर यार बलोच ने दुनिया और भारत से अपील करते हुए लिखा – “Solidarity Has No Borders. The people of the Democratic Republic of Balochistan come to show their full support to the people of #Bharat. China is helping Pakistan, but Balochistan and it’s people are the government of Bharat.”
बलूचिस्तान में कई प्रदर्शनकारियों ने खुले मैदानों में भारत के झंडे और ‘Dear @narendramodi ji you are not alone, you have the backing of 60 million Baloch patriots.‘ जैसे पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया। तस्वीरों में साफ देखा गया कि किस तरह बलूच युवा भारत के समर्थन में आवाज उठा रहे हैं।
Breaking News Straight from PoB:
10 May 2025, @hyrbyair_marri@FreeBaluchMovt@DrSJaishankar@rajnathsingh
Solidarity Has No Borders.The people of the Democratic Republic of Balochistan come to show their full support to the people of #Bharat.
China is helping Pakistan, but… pic.twitter.com/8JPD9PNKh6
— Mir Yar Baloch (@miryar_baloch) May 10, 2025
भारत के लिए क्या मायने रखता है ये ऐलान?
राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह ऐलान केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि पाकिस्तान के क्षेत्रीय नियंत्रण को सीधी चुनौती है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, 6 करोड़ से ज़्यादा बलूच नागरिक अब भारत के साथ खुला समर्थन कर रहे हैं।
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चीन जहां पाकिस्तान की सैन्य मदद कर रहा है, वहीं बलूच लोग भारत को ही अपना वास्तविक सहयोगी मानते हैं और भारत को अपना पूरा समर्थन दे रहे है।
क्या यह दक्षिण एशिया की राजनीति में नया मोड़ है?
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह स्थिति Opration Sindoor के बाद सबसे बड़ा रणनीतिक अवसर है। अगर भारत बलूचिस्तान की लोकतांत्रिक आज़ादी को समर्थन देता है, तो यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में उसकी स्थिति को कमजोर कर सकता है।
भारत की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनयिक स्तर पर बैकचैनल बातचीत की खबरें हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के लिए यह वक्त है जब उसे तय करना होगा – क्या वह केवल नैतिक समर्थन देगा या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बलूचिस्तान की आवाज़ उठाएगा।
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ज़मीनी हालात और अगला कदम
बलूचिस्तान में अब हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तानी सेना ने सैन्य तैनाती बढ़ा दी है, कई इलाकों में इंटरनेट बंद और प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की खबरें आ रही हैं। भारत की खुफिया एजेंसियां इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं, खासकर चीन की गतिविधियों को लेकर भी।
बलूच स्वतंत्रता की यह मांग भारत के लिए एक नया रणनीतिक मोर्चा खोल सकती है, बशर्ते वह इसे सही तरीके से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए।
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