साढ़ेसाती से परेशान हैं? इस शनि जयंती पर खुल सकता है भाग्य का ताला
भारत में जब-जब जीवन की मुश्किलों और ग्रहों की चाल की बात होती है, तब-तब शनि देव का नाम सबसे ऊपर आता है। न्यायप्रिय, कठोर लेकिन करुणामयी—शनि देव को कर्मों का सटीक हिसाब रखने वाला देवता माना जाता है। खासकर वे लोग जिनकी कुंडली में साढ़ेसाती या ढ़ैय्या चल रही है, उनके लिए यह समय कई बार जीवन का सबसे बड़ा इम्तिहान बन जाता है। ऐसे लोगों के लिए शनि जयंती 2025 किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं है।
शनि जयंती 2025: कब है यह अहम दिन?
इस बार शनि जयंती 27 मई 2025, मंगलवार को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार, यह तिथि हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को आती है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व की तारीख अलग-अलग भी मानी जाती है—उत्तर भारत में इसे ज्येष्ठ अमावस्या के दिन और दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
यह पर्व उन सभी के लिए खास होता है जो लगातार संघर्ष, मानसिक दबाव या आर्थिक तंगी से गुजर रहे होते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि जयंती पर विधिपूर्वक की गई पूजा और उपायों से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और उनका प्रकोप धीरे-धीरे शांत होने लगता है।
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कैसे करें शनि देव को प्रसन्न?
शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ काले या नीले वस्त्र पहनें। नजदीकी शनि मंदिर जाकर सरसों के तेल से शनि देव का अभिषेक करें। अगर आप मंदिर नहीं जा सकते, तो घर में ही काले तिल, लोहे, और सरसों तेल का दान करके शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें।
जिनकी कुंडली में साढ़ेसाती या ढ़ैय्या चल रही है, उनके लिए पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाना और हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद लाभकारी माना जाता है। इससे शनि देव का प्रकोप कम होता है और मानसिक शांति मिलने लगती है।
क्यों कहा जाता है शनि देव को न्याय का देवता?
शनि देव सिर्फ दंड देने वाले देव नहीं हैं। वे इंसान को उसके हर कर्म का सटीक फल देते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन की सच्चाई को पहचानता है, आत्मविश्लेषण करता है और भीतर से मजबूत बनता है। यही वजह है कि जब साढ़ेसाती या ढ़ैय्या का समय आता है, तो व्यक्ति को हर क्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है—लेकिन साथ ही यह समय उसे सुधार और मजबूती का रास्ता भी दिखाता है।
शनि देव का प्रभाव अगर शुभ हो जाए, तो व्यक्ति को अपार समृद्धि, स्थिरता और मानसिक संतुलन प्राप्त हो सकता है। इसलिए शनि जयंती को सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि एक आत्मिक पुनरुद्धार का अवसर माना जाता है।
आज के समय में क्या है शनि जयंती का असली महत्व?
आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में लोग भाग्य से ज़्यादा कर्मों को दोष देने लगे हैं। ऐसे में शनि जयंती हमें अपने कर्मों की तरफ लौटने और भीतर झांकने का मौका देती है। यह दिन केवल पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि आत्म-सुधार, संयम और ईमानदारी का प्रतीक है।
जो लोग जिंदगी में लगातार झटकों से गुजर रहे हैं, जिनके लिए रास्ते बंद से लगते हैं—उन्हें इस दिन पूरे मन और श्रद्धा से शनि देव की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि सच्ची नीयत और संकल्प से की गई साधना शनि देव को प्रसन्न करती है और जीवन की हर दिशा में नए रास्ते खोलती है।
Disclaimer: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। PTU News यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।
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