भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी कैंसर की दवा! सिर और गर्दन के कैंसर का इलाज अब आसान
नई दिल्ली – भारत में कैंसर के इलाज को लेकर एक बड़ी उपलब्धि सामने आई है। हिमाचल प्रदेश के पालमपुर स्थित वैज्ञानिक संस्थान CSIR-IHBT ने सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज के लिए एक नई दवा खोजी है। वैज्ञानिकों ने इस दवा को MK2-inhibitor नाम दिया है, जो विशेष रूप से Head and Neck Squamous Cell Carcinoma (HNSCC) नामक कैंसर के इलाज में असरदार साबित हो सकती है।
यह रिसर्च उन मरीजों के लिए एक नई उम्मीद बनकर सामने आई है, जो रेडिएशन थेरेपी से गुजर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि MK2-inhibitor नामक यह दवा कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने से रोकती है। इतना ही नहीं, यह दवा रेडिएशन थेरेपी को भी ज्यादा असरदार बनाती है, जिससे ज्यादा कैंसर कोशिकाएं खत्म की जा सकती हैं। MK2-inhibitor कैंसर कोशिकाओं में डीएनए मरम्मत की प्रक्रिया को भी बाधित करती है, जिससे ये कोशिकाएं और कमजोर हो जाती हैं।
जानवरों पर किए गए परीक्षणों में यह दवा सुरक्षित पाई गई है। चूहों पर किए गए अध्ययन में 300 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तक की खुराक को शरीर के लिए सुरक्षित माना गया। खास बात यह रही कि MK2-inhibitor शरीर में तेजी से असर दिखाती है, जल्दी अवशोषित होती है और शरीर से तेजी से बाहर निकल जाती है। इस वजह से इसे एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, जो कम विषैला है और मरीज के लिए ज्यादा सहनशील भी।
क्यों है MK2 inhibitor cancer treatment एक खोज महत्वपूर्ण?
CSIR-IHBT की यह खोज इस दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, क्योंकि यह पारंपरिक इलाज की तुलना में कम साइड इफेक्ट्स के साथ ज्यादा प्रभाव दिखा सकती है। वैज्ञानिक मानते हैं कि यह दवा भविष्य में न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में कैंसर के इलाज का चेहरा बदल सकती है। यह न केवल मरीजों की जान बचाने में मदद कर सकती है, बल्कि उन्हें कम दर्द और परेशानी में बेहतर इलाज देने में भी सफल हो सकती है।
@CSIR_IHBT researchers have identified MK2-inhibitor molecules that have potential to treat Head and Neck #SquamousCell #Carcinoma. Animal tests showed they are safe, fast-acting, and quickly cleared from the body—making them ideal for #therapy.
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फिलहाल CSIR-IHBT इस दवा पर इंसानी परीक्षण की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अगर यह क्लीनिकल ट्रायल सफल रहता है, तो यह भारत में बनी पहली ऐसी कैंसर दवा बन सकती है जो सस्ती, सुरक्षित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असरदार मानी जाएगी। यह शोध भारत की वैज्ञानिक क्षमता का प्रमाण है और यह दिखाता है कि भारत वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में भी अहम भूमिका निभा सकता है।